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विकसित भारत 2047 की दिशा में डॉ. अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित

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कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में “विकसित भारत 2047 के संदर्भ में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता” विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के मार्गदर्शन और उत्तर प्रदेश शासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के दिशा-निर्देशन में सम्पन्न हुआ।

प्रतियोगिता में बीजेएमसी के छात्र सुधीर कुमार ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि बीजेएमसी की छात्रा अर्चिता रक्सेल को द्वितीय स्थान मिला।

कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. विशाल शर्मा के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने डॉ. अंबेडकर को एक दूरदर्शी विचारक बताते हुए कहा, “डॉ. अंबेडकर का चिंतन आज के भारत के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास की दिशा तय करता है। ऐसी प्रतियोगिताएं युवाओं को उनके विचारों से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं।”

बीजेएमसी के छात्र सुधीर कुमार ने प्राप्त किया प्रथम स्थान, बीजेएमसी की छात्रा अर्चिता रक्सेल को मिला द्वितीय स्थान।

कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. रश्मि गौतम ने कहा, “डॉ. अंबेडकर के विचारों को आज का युवा समझने और अपनाने की दिशा में बढ़ रहा है। प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने उनके सिद्धांतों को आधुनिक भारत की आवश्यकता से जोड़ते हुए प्रस्तुत किया।”

निर्णायक मंडल में पर्यावरण विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. द्रौपती यादव और कंप्यूटर साइंसेज विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुष्पा ममोरिया रहीं। डॉ. यादव ने कहा, “डॉ. अंबेडकर ने समानता, शिक्षा और न्याय के जो मूल्य दिए, वे आज भी प्रासंगिक हैं। प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों में गहरी सामाजिक समझ देखने को मिली।” वहीं, डॉ. ममोरिया ने कहा, “डॉ. अंबेडकर का चिंतन भविष्य की दिशा भी तय करता है।”

इस अवसर पर विभाग के वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. जितेन्द्र डबराल और डॉ. योगेन्द्र कुमार पांडे ने भी विचार रखे। डॉ. डबराल ने कहा, “छात्रों में अंबेडकर के विचारों के प्रति जागरूकता भविष्य के भारत का संकेत है।” डॉ. पांडे ने कहा, “डॉ. अंबेडकर का समतामूलक समाज का सपना ही ‘विकसित भारत 2047’ की नींव है।”

प्रतियोगिता का संचालन डॉ. रश्मि गौतम ने किया और डॉ. ओमशंकर गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रेम किशोर शुक्ला, सागर कनौजिया, विभाग के अन्य संकाय सदस्य एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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