महावीर जयंती जैन धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार है।यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसा पूर्व को कुंडग्राम में हुआ था। उनकी माता का नाम ‘त्रिशला’ और पिता का नाम ‘सिद्धार्थ’ था। महावीर स्वामी ने ‘अहिंसा’ और ‘जियो और जीने दो’ का उपदेश दिया था। महावीर जयंती को ‘महावीर जन्म कल्याणक’ भी कहा जाता है। इस महावीर जयंती त्यौहार के अवसर पर हम आपको कानपुर के कुछ जैन मंदिर के बारे में बताना चाहेंगे जैन मंदिर के बारे में ।
श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर
कानपुर के आनंदपुरी में श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर स्थित है। यह भारत का दूसरा ऐसा जिनालय या जैन मंदिर है जहां पर 24 प्रकार के कल्पवृक्ष के चित्र दीवारों पर चित्रित हैं। हाल ही में महावीर जयंती के एक दिन पहले नवसार या नमस्कार मंत्र का उच्चारण किया गया। यह कार्यक्रम ‘जैन सोशल ग्रुप, कानपुर नगर’ द्वारा आयोजित किया गया था। महावीर जयंती के अवसर पर सुबह शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शाम को सभी लोगों ने मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान महावीर को याद किया।
श्री 1008 शांतिनाथ जिनालय का भूमि पूजन और शिलान्यास 11 मई 2006 को हुआ था। परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्या सागर जी महाराज के आशीर्वाद से प्रदीप ने संपन्न कराया। इस मंदिर में शांतिनाथ भगवान की अष्टधातु की मूर्ति रखी गई है। इस अष्टधातु की ढलाई जयपुर में मुनि पुंगव श्री 108 सुधा सागर जी के आशीर्वाद से प्रदीप भैया उर्फ़ सुयश द्वारा 2009 में करवाया गया। मूर्ति की स्थापना या प्रवेश 6 दिसंबर 2009 को शोभायात्रा द्वारा हुई। इस शोभायात्रा में 5000 से भी अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया था। प्रतिमा का भाव पंचकल्याणक 6 मार्च से 12 मार्च तक 2011 में करवाया गया।
क्या है यह ‘पंचकल्याणक’?
‘पंचकल्याणक’ जैन धर्म से संबंधित है। इसका अर्थ होता है कि “पांच घटनाएं”। मतलब हुआ कि जैन धर्म के तीर्थंकरों के जीवन में घटित पांच शुभ घटनाएं। जैन ग्रंथ “कल्पसूत्र” में ‘पंचकल्याणक’ का वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ के रचयिता “भद्रबाहु” थे। जब कभी किसी जैन मंदिर की स्थापना होती है तब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव मानते हैं। यह पंचकल्याणक निम्न होते हैं:
- च्यवन कल्याणक।
- जन्म कल्याणक।
- दीक्षा कल्याणक।
- केवलय ज्ञान कल्याणक।
- निर्वाण कल्याणक
यह कल्याणक हिंदू धर्म में 16 संस्कारों की तरह होते हैं। यह कल्याणक संस्कार की ही तरह किसी मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के चक्र को दिखाती है।
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जैन मंदिर की शिल्प कला
मंदिर के निर्माण में राजस्थान,उड़ीसा , बिहार तथा अन्य राज्यों से आए कारीगरों ने 6 वर्षों तक काम किया है। मंदिर के पत्थरों पर की गई नक्काशी पौराणिक इतिहास,मंदिरों तथा देवालय से ली गई है। मंदिर में शांतिनाथ की धातु की प्रतिमा रखी गई है। भगवान शांतिनाथ जैन धर्म के 16 तीर्थंकर थे। इनका चिन्ह् हिरण था।
माहेश्वरी मोहाली स्थित जैन कांच मंदिर
श्री धर्मनाथ स्वामी जैन श्वेतांबर मंदिर शिवाला क्षेत्र के कमला टावर के पास स्थित है। गलियों में बसा यह मंदिर अंदर से बहुत ही खूबसूरत है। इस मंदिर का निर्माण “दौलतचंद भंडारी” ने करवाया था । यह मंदिर आज से लगभग 155 साल पुराना है। मंदिर में जैन तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई है। मंदिर में अन्य तीर्थंकर जैसे आदिनाथ पार्श्वनाथ तथा शांतिनाथ का भी वर्णन किया गया है। मंदिर के खुलने का समय सुबह 7 से 12 और शाम को 4:00 से 5: 30 बजे तक ही है।
कांच मंदिर की शिल्प कला
मंदिर के प्रांगण में गांधार शैली के मूर्तियां रखी हुई है। यहां पर आपको श्री भद्रेश्वर जी,श्री रंगपुर जी, श्रीशेखेश्वर जी और श्री केसरिया का वर्णन मंदिर के गुंबद में देखने को मिलता है। अपना सिर ऊपर करके मंदिर के गुंबद में बनी इन सुंदर चित्रों को देखते हैं, तो नीचे करने का मन करेगा ही नहीं। दीवारों पर आपको श्री शांति नाथ भगवान के निर्वाण की कथा भी चित्रित देखने को मिलती है। “श्री सम्मेतशिखर तीर्थ“ के नाम से अंकित किया गया है। श्री सम्मेतशिखर तीर्थ बिहार में स्थित है। यहां पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्माण की प्राप्ति की है।
ईरानी वास्तुकला पर आधारित यह मंदिर विभिन्न तीर्थंकरों की सुंदर नक्काशी दिखाता है। मंदिरों की दीवारों पर बनी Peutra Duera मंदिर की खूबसूरती के बारे में बताती हैं। मंदिर में आपको जिनोपासक दशदिकपाल के बारे में अलग कक्ष में वर्णन मिलेगा।