झाँसी, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है, जो रानी लक्ष्मी बाई की वीरता और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का किला “झाँसी किला”, सिर्फ़ झाँसी नहीं बल्कि पूरे भारत के शौर्य का प्रतीक है। यह किला सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि ब्रिटिशों के खिलाफ भारतीयों द्वारा किए गए संघर्ष का प्रतीक है।
झाँसी किला 1857 की क्रांति का गवाह रहा, जब रानी लक्ष्मी बाई ने ब्रिटिशों के खिलाफ अपनी सेना का नेतृत्व किया। यह किला शहीदों की कुर्बानियों की याद दिलाता है और आज भी हमें साहस और देशभक्ति की प्रेरणा देता है। यह किला 17वीं सदी में राजा वीर सिंह जूदेव द्वारा बनवाया गया था। यह किला बंगलाभूमि (अब बंगरा पहाड़ी) पर बना हुआ है, जिससे पूरे झाँसी शहर पर नजर रखी जा सके।
झाँसी का किला – इतिहास और वीरता का प्रतीक
झाँसी का किला 17वीं सदी में राजा वीर सिंह जूदेव द्वारा बनवाया गया था। यह किला बंगलाभूमि (अब बंगरा पहाड़ी) पर बना हुआ है, जिससे पूरे झाँसी शहर पर नजर रखी जा सके। समय के साथ यह किला मराठाओं के नियंत्रण में आया और बाद में यह रानी लक्ष्मीबाई का प्रमुख ठिकाना बन गया। 1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई ने इसी किले से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, और तभी से यह किला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण केंद्र बन गया।
किले की बनावट व कला
करीब 15 एकड़ में फैले इस किले की दीवारें ऊँची और मजबूत हैं, जो उस समय की युद्ध तकनीक को दर्शाती हैं। किले में 10 मुख्य द्वार हैं, जिनमें खण्डेराव गेट, सागर गेट और उन्नाव गेट प्रमुख हैं। किले के अंदर आपको पुराने मंदिर, बैरिक, और रानी महल देखने को मिलेंगे। एक और खास चीज है यहाँ की “कड़क बिजली” तोप, जिसे 1857 की लड़ाई में इस्तेमाल किया गया था।
रानी लक्ष्मीबाई और झाँसी का किला
रानी लक्ष्मीबाई का नाम इस किले से जुड़ते ही एक अलग ही गर्व महसूस होता है। उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया और अपनी आखिरी सांस तक झाँसी की रक्षा की। ऐसा कहा जाता है कि जब हालात बिगड़ गए, तो उन्होंने अपने बेटे को पीठ पर बांधकर घोड़े से कूद कर इस किले से बाहर निकलने की कोशिश की। यह दृश्य आज भी झाँसी के इतिहास का सबसे गौरवशाली पल माना जाता है।
पर्यटकों के लिए आकर्षण
झाँसी किला संग्रहालय – जिसमें हथियार, मूर्तियाँ, और प्राचीन वस्तुएँ देखी जा सकती हैं।
ऊँचाई से शहर का नज़ारा – किले से पूरा झाँसी शहर बेहद खूबसूरत दिखता है।
लाइट एंड साउंड शो – शाम को रानी लक्ष्मीबाई की कहानी को रोशनी और आवाज़ के ज़रिए पेश किया जाता है
झाँसी किला केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और वीरता की जीवित मिसाल है। रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और संघर्ष की गाथाएँ आज भी इस किले की दीवारों में गूंजती हैं, जो हमें हमारे इतिहास और संस्कृति से जोड़ती हैं। यह किला न केवल भारतीयों के साहस और आत्मसम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि देश की स्वतंत्रता के लिए दी गई कुर्बानियाँ कभी व्यर्थ नहीं जातीं।
झाँसी किला आज भी पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहां वे न केवल इतिहास से रूबरू होते हैं, बल्कि भारतीय वीरता और देशभक्ति की भावना से भी प्रेरित होते हैं। यदि आप भारतीय इतिहास और संघर्ष की जड़ें जानना चाहते हैं, तो झाँसी किला एक अनिवार्य यात्रा स्थल है, जहां हर कोना देश के गौरव और महानता की कहानी सुनाता है।
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