Shreyansh Singh, Anirudh Gaur
खेल बच्चों और छात्रों के समग्र विकास के लिए बहुत जरूरी हैं। ये बातें लोगों को कहने में तो बेहद अच्छी लगती हैं पर इस पर अमल करने से पहले लोग आज भी हिचकते हैं। खेल महज़ मनोरंजन व ध्यान भटकाने का विकल्प नहीं बल्कि दिमाग, आत्मविश्वास और सामाजिक व्यवहार को बेहतर बनाने का साधन भी है। आज स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों को भी महत्व देना चाहिए। आइए जानते हैं 5 ऐसे बिंदु जिसमें खेल हमारे सिलेबस से ज़्यादा सिखा जाते हैं:
1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार:
खेल खेलने से शरीर फिट और ताकतवर बनता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार, 5 से 17 साल की उम्र के बच्चों को रोज़ाना कम से कम 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि ज़रूरी होती है। इससे मोटापा, डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ दूर रहती हैं।खेल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं क्योंकि यह शरीर को सक्रिय रखते हैं और मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। नियमित खेल से हृदय स्वस्थ रहता है, रक्त संचार सुधरता है और मोटापा नियंत्रित रहता है। साथ ही, यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, हड्डियों को मज़बूती देते हैं और सम्पूर्ण शरीर को ऊर्जावान बनाए रखते हैं।
2. मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं:
खेल खेलने से मन खुश रहता है और तनाव कम होता है। खेल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं क्योंकि ये चिंता और अवसाद को कम करते हैं। खेलने से मस्तिष्क में एंडॉर्फिन नामक रसायन उत्सर्जित होता है जो मन को शांत और प्रसन्न करता है। साथ ही, खेल आत्मविश्वास बढ़ाते हैं, एकाग्रता मजबूत करते हैं और व्यक्ति को सकारात्मक सोच व अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।
3. टीमवर्क और मिल-जुलकर काम करना सिखाते हैं:
खेलों में बच्चों को दूसरों के साथ खेलना, उनकी मदद करना और नियमों का पालन करना सिखाया जाता है। इससे वे अच्छे टीम मेंबर और लीडर बनना सीखते हैं। खेल टीमवर्क और मिल-जुलकर काम करने की भावना को विकसित करते हैं क्योंकि टीम गेम्स में सफलता के लिए सभी खिलाड़ियों का सहयोग आवश्यक होता है। इससे व्यक्ति दूसरों की बात सुनना, विचारों का आदान-प्रदान करना और सामूहिक निर्णय लेना सीखता है। यह भावना आगे चलकर जीवन के अन्य क्षेत्रों जैसे कार्यस्थल और समाज में भी उपयोगी सिद्ध होती है।
4. अनुशासन और टाइम मैनेजमेंट:
नियमित अभ्यास के लिए बच्चों को समय पर उठना, तैयार होना और मेहनत करना पड़ता है। इससे वे अनुशासित बनते हैं और समय का सही इस्तेमाल करना सीखते हैं। खेल अनुशासन और समय प्रबंधन की आदत डालते हैं क्योंकि खिलाड़ी को निर्धारित समय पर अभ्यास, खेल और विश्राम करना होता है। इससे वह अपने दिनचर्या को व्यवस्थित रखना सीखता है। खेलों में नियमों का पालन जरूरी होता है, जो व्यक्ति में अनुशासन और ज़िम्मेदारी की भावना विकसित करता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में मददगार होती है।
5. आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता:
जब छात्र खेल में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। वे अपनी खूबियों को पहचानने लगते हैं और हर क्षेत्र में अच्छा करने की कोशिश करते हैं। खेल आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाते हैं क्योंकि मैदान पर चुनौतियों का सामना करके खिलाड़ी में खुद पर विश्वास पैदा होता है। जब वह टीम का नेतृत्व करता है या कोई निर्णय लेता है, तो नेतृत्व गुण विकसित होते हैं। जीत-हार के अनुभव से सीखकर वह आत्मनिर्भर बनता है और दूसरों को प्रेरित करने की क्षमता भी हासिल करता है।
खेल बच्चों को न केवल तंदुरुस्त बनाते हैं, बल्कि उन्हें बेहतर सोचने, समझने और समाज में घुलने-मिलने में भी मदद करते हैं। इसलिए, स्कूलों और अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।